Menu
blogid : 16830 postid : 728174

UPA -२ सरकार के कार्यकाल का संक्षिप्त लेखा- जोखा….

आत्ममंथन
आत्ममंथन
  • 67 Posts
  • 35 Comments

UPA-२ सरकार ने जाती -जाती मंहगाई के जोड़के झटके दे गयी, सरकार जहाँ एक तरफ जिस कदर प्राकृतिक सम्पदा का लूट मचा रखी थी और दूसरी तरफ मध्यम वर्ग को मंहगाई के व्रजपात कर रही थी इससे साफ़ जाहिर है कि सरकार के काम काज जनता के संतुष्टि के कसौटी पर कभी खड़ी नहीं उतरी। भारत के लोक तंत्र इतिहास यदि UPA-२सरकार को याद रखेंगे जायेंगे तो सिर्फ भ्रष्टाचार के लिए क्यूंकि सरकार के अपनी पूरी कार्यकाल के दौरान सिर्फ भ्रष्टाचार के लिए ही सुर्ख़ियों में रही। हालाँकि भारत के आनेवाले पीढ़ी शायद मनमोहन सिंह को कभी भी देश के बेहतरीन प्रधानमंत्री का दर्ज़ा नहीं दे पाएंगे क्यूंकि वे आत्ममंथन करने के पश्चात शायद यही निष्कर्ष निकाले कि भगवान के कृपा से तो पञ्च ज्ञान इंद्री होते हुए न कभी आँख का ही उपयोग किया, काश किया होता तो इस तरह के भ्रष्टाचार हरगिज़ देखने को नहीं मिलता जबकि कान का उपयोग उस पल ही बंद कर दिए थे जब उन्होंने अपने को प्रधानमंत्री के लिए प्रस्तावित होते सुने थे ऐसा नहीं था कि वह बधिर हो गए थे ब्लिक सिर्फ और सिर्फ मैडमजी को ही सुना करते थे। नतीजन उनके अपने दल से लेकर सहयोगी सभी देश और सरकार को लुटते रहे और चुपचाप देखते रहे, नौकरशाह एक के बाद एक हैरतअंगेज और नकुसानदेह फैसला लेते रहे और बेझिझक हामी भरते रहे। यद्दिप गुणवत्ता और विद्वत्ता के नज़रिये से अभीतक जितने भी प्रधानमंत्री हुए है उनमें से अव्वल रहे है पर वह गुणवत्ता और विद्वत्ता किस काम के जो तर्कसंगत न हो और जो राष्ट हित में न हो।वास्तविक में UPA-२ के सभी मंत्रालय के काम काज का लेखा- जोखा करे तो किसी भी मंत्रालय का काम काज संतोष जनक नहीं रहा। इसीलिए प्रमुख मंत्रालय के काम काज के ऊपर एक नज़र डालते है ;-

रक्षा मंत्रालय न थल, न जल, और न ही नभ में हमें शुरक्षित रख पाये यही कारन है कि सरहद पर हमारे जवानो के सर कात कर दुश्मन ले जा रहे थे और मंत्रीजी को सूझ ही नहीं रहे थे कि देश के जनता को क्या जवाब दे?, जल सेना के पंडुबिया अपने आप तबाह होते रहे पर मंत्रालय के कान तक में जू नहीं रेंगे अन्तः तीन पंडुबिया नस्तेनाबूद हो गए फिर भी रखरखाब को लेकर अभीतक कोई कारगर निर्यण नहीं कर पाये ऐसा ही नज़रिया तकरीबन एयर फाॅर्स को लेकर भी रहा इसलिए तो इनके (UPA-२) कार्यकाल के दौरान सेना कई हिलेकॉप्टर क्रैश हुए और जाते -जाते हर्कुलस जैसे अत्याधुनिक विमान को भी शहीद कर गए। UPA-२ में रक्षा मंत्री और सैनिक अध्यक्षो के बीच तालमेल का आभाव साफ दिखा और हद तो तब हो गए जब इनके विभाग में रिश्वतखोरी का जो खेल चल रहा था उसका उजागर एक – एक करके सामने आने लगा। अन्तोगत्वा रक्षामंत्री और इनके मंत्रालय फिसिद्दी ही साबित हुए।

गृह मंत्रालय का काम – काज का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि मुम्बई से लेकर पटना तक और बोधगया से लेकर पुणे तक सिल-सिले वार धमाका हुए। मओवादी और उल्फा का कहर इतना भयानक रहा कि सत्तारूढ़ पार्टी अपने ही आला नेताओ को बचाने में सक्षम नहीं रहे। पुरे कार्यकाल के दौरान सीबीआई के बलबुत्ते सरकार चलती रही इसीलिए सीबीआई के माध्यम से एक तरफ अपने हितेषी को क्लीनचिट दिलवाते रही जबकि अपने ही नेताओं को घटोला और भ्रष्ट्राचार के आरोपो को छुपाती रही मसलन पुरे कार्यकाल के दौरान ख़ुफ़िया विभाग को खुदको बचाने और विपक्षी को फ़साने के इस्तेमाल करते रहे। पुरे कार्यकाल के दौरान तानशाह का ही परिचय दिया इसका ज्वलंत उदहारण है कि अन्ना के जन आंदोलन हो या रामदेव बाबा का कालाधन वापसी का मुहीम जिस बर्बरता के साथ इन आंदोलन को कुचलने का काम किया इस संवेदन हीनता के लिए शायद ही इतिहास इस मंत्रालय को माफ़ करे। हाल ही में हुए मुज़फ्फरनगर के दंगा भी इस मंत्रालय को सामाजिक सौहार्द बनाये रखने में असफलता के ही प्रतिक है। सामाजिक सरोकार के नज़िरये से गृह मंत्रालय का काम – काज को मूल्याकन करे तो शायद निर्भया जैसे कितने को आबरू को सरेआम बेआबरू होते रहे पर गृह मंत्रालय रोक पाने में असमर्थ ही दिखे वाबजूद लोगो के आवाज़ को दबाने की भर्सक कौशिश की गई लेकिन निर्भया के केस में ऐसा नहीं हुआ आखिर कार इसके गूंज संसद के पटल पर भी सुने गए, अन्तः बलात्कार के खिलाफ ससक्त कानून को मंजूरी दी गयी ;

निर्भया जैसे न जाने कितने मासूम के अस्मत लुटते रहे

पर कभी खुदको, तो कभी इस लचर व्यवस्था को कोसते रहे ….

वृत मंत्रालय का ही उलेख्यानिये योगदान के कारण ही अर्थ -व्यवस्था में भारी गिराबट और कमरतोड़ मंहगाई से रुबरु यहाँ के लोगों को होना पड़ा। शायद ही आम आदमी कभी सरकार इस कार्यकाल को भूलेंगे, सरकार के अनगिनित अवांछित उठाये गए कदम से कॉर्पोरेट सेक्टर में मायूशी ही देखनो को मिले परिणामश्वरूप रुपैया हर रोज निचलेस्तर पर लुढकने का नए रिकार्ड्स बनाते रहे और जनता को सिर्फ दिलासा के सिवाय कुछ भी नहीं मिला। जीडीपी ८% प्रतिशत से आहिस्ता -आहिस्ता नीचे खिसक रहे थे जबकि मंत्रालय हाथ पर हाथ धरे विश्व के मार्किट में आयी उदासीपन को जिम्मेवार ठहराने में लगे थे। जिन सरकार के कमान विश्व के महान अर्थशास्त्री के हाथ में हो उन्ही के सरकार में देश के अर्थव्यवस्था सबसे दैनीय अवस्था में पहुँच गयी हो इससे बड़ा विडम्बना क्या होगा ?….

रेलवे मंत्रालय की बात करे तो आनेवाले दिनों में बेइंतहा किरायो में बढ़ोतरी के लिए जाना जायेंगे इन्ही के साथ कई अन्य कारनामो के लिए सदेव याद किये जायेंगे जैसे कि पांच साल के कार्यकाल के दौरान छह बार मंत्री को बदलना, पेंसेजर के सुरक्षा को लेकर कोई ठोस निर्यण नहीं लेना और सबसे यादगार कुकृत यदि इस सरकार में रेलवे मंत्रालय ने किये तो प्रमोशन के बदले रिश्वत जिसके लिए रेलवे मंत्री और उनके सगे सम्बन्धियों का नाम सीधे तोर पर आये। अन्तः सरकार की अंतरिम बजट में लिए गए फैसले जो जनता के हित के लिए सार्थक किसी भी हालत में नहीं हो सकते। किराये में बढ़ोतरी के लिए उत्कृष्ट सेवा और शुरक्षा का अस्वासन दिए गए पर न ही उत्कृष्ट सेवा और न ही उपयुक्त शुरक्षा अभी तक देखने को मिला।

विदेश मंत्रालय :- UPA -२ में अगर कोई मंत्रालय विफलता के पायदान पर अव्वल माना जाय तो वह विदेश मंत्रालय जो कि पडोशी देश के ऊपर भी डिप्लोमैटिक दवाब नहीं बना पाये इसलिए कभी चीन तो कभी पाकिस्तान के सेनाबल हमारी सरहद को लाघंटे रहे और सहनशीलता के आढ़ में हमें उनके खिलाफ विश्व के सामने जोर-सोर उनके नापाक इरादे को उठाने में नाकामयाब रहे फलस्वरूप वे अपने हरकतें से बाज नहीं आ रहे है। विदेश मंत्रालय के काम -काज तो निर्लजता के सभी मापदंड को तब पार कर जाते है कि एक तरफ हमारे पडोशी हमारे सेना का सर कात कर ले जा रहे थे दूसरी तरफ हमारे विदेश मंत्री उनके हुक्कामरनो के खातिरदारी में लगे थे। हाल में जो दिव्यानि के संदर्भ में अमेरिका को रवैया रहा वह भी इनके काम काज के ऊपर प्रश्न चिन्ह ही लगाते है।

टेलीकॉम मंत्रालय :- २G घोटाला के याद किये जायेंगे हालाँकि यह घोटाला UPA -१ की देंन है जबकि खुलाशा UPA -२ के दौरान ही हुआ फलस्वरूप टेलीकॉम मंत्री को सीधे मंत्रालय से हवालात का सफ़र करना पड़ा। इस मंत्रालय का काम -काज इतने आपत्तिजनक रहा कि इनके छितं प्रधानमत्री के ऊपर भी देखनके को मिला और आनेवाले दिनों में कई और खुलासे होने के आसार है।

कोयला मंत्रालय :- भारत इतिहास के अभीतक सबसे बड़ा घोटाला जिसके लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रधानमंत्री और उनके मंत्रालय जिम्मेवार, फिलहाल जाँच जारी है और कुछ बड़े मंत्री और नेता को जेल जाना मानों तय है।

कानून मंत्रालय :- विवादस्पद ही रहा क्यूंकि कानून मंत्री जितनी रूचि कानून तोड़ने में ले रहे थे काश उतनी बनाने में लेते !

कृषि मंत्रालय :- मंत्रीजी पुरे कार्यकाल के दौरान सिर्फ और सिर्फ चीनी मिल के मालिक के प्रति सकारत्मक रवैया अपनाते रहे वास्तव में लोगो का मानना है कि मंत्री जी के भी खुदके कई चीनी मिल है इसलिए इस कार्यकाल के दौरान चीनी का मूल्य में बहुत अधिक बढ़ोतरी हुए जबकि किसान को गन्ने का उचित मूल्य कभी नहीं दिए गए। देश में किसानो ने सरकार और प्रकृति के बेरुखी के कारन ही काफी तादाद में आत्म हत्या किये जिसके लिए कृषि मंत्रालय काफी हद तक जिम्मेवार है। इन्ही सरकार के कार्यकाल के दौरान अन्न के रख-रखाब में जो कोताही बरतीं गयी उसी कारण से अन्न सड़ने के वजह से काफी नुकशान उठाना पड़ा है। आखिरकार देश के सर्वोचय न्यायलय ने संज्ञान लेते हुए मुफ्त में बाटने का सलाह दिए थे पर कृषि मंत्रालय ने सर्वोचय न्यायलय के सिफारिस को खारिज़ कर दिए । मुफ्त में बताने के वजाय अन्न सड़ना ही बेहतर समझे।

उड्डयन मंत्रालय :- इंदिरा गांधी टर्मिनल -३ और मुम्बई के एयर पोर्ट का रेनोवेशन को छोड़ दिया जाय तो कोई खाश उपलब्द्धि नहीं देखि जा सकती है। एयर इंडिया के खस्ता हाल के लिए अगर किसीकी भी जवाब देहि बनती है, तो वह उडडयन मंत्रालय है पर अभी तक उनके तरफ से सुधार को लेकर कोई खाश पहल नहीं हुए।

प्रर्यावरण मंत्रालय :- का तो जवाब ही नहीं और इसीका नतीजा है सरकार के आखिरी सत्र से पहले प्रर्यावरण मंत्री से इस्तीफा लेना पड़ा। फिलहाल इन मंत्रालय के ढीली कार्यकलाप के चलते ही देश में ३५० परियोजना अधर में लटके हुए है जो कि इन मंत्रालय के दफ्तर के धूल फाँक रहे है।

पेट्रोलियम मंत्रालय :- अगर UPA -२ सरकार में कोई मंत्रालय महंगाई के सीधे तोर पर जिम्मेवार है तो यही मंत्रालय है। यद्दिप इन मंत्रालय ने पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स के दाम को बढ़ाने में कभी हिचके नहीं और हर बार एक ही बहाने व दलील देते रहे कि पेट्रोलियम उत्पादन कंपनी को भारी नुकशान से निजात दिलाने के लिए दाम में बढ़ोत्तरी जायज है जबकि पेट्रोलियम उत्पादन कंपनी के सालाना लेखा-जोखा में मुनाफा ही देखने को मिला। वेसे भी पेट्रोलियम मंत्रालय के काम काज आरोपो के घेरे में है जो आनेवाले वक़्त ही तय कर पायेगा कि पेट्रोलियम मंत्री कितने पाक साफ़ है?

दरशल में UPA -२ के कुछ उपलब्धिया है जिन्हे कतई नज़र अंदाज़ नहीं किये जा सकते है जैसे भोजन की गारंटी बिल, और सरकार के आखरी सत्र में पारित लोकपाल बिल हालाँकि लोकपाल बिल को अभी कानून के रूप में अख्त्यार होना बाकि है जबकि भोजन की गारंटी बिल अभी तक देश के सभी राज्य में लागु किया जाना शेष है, जब तक इस बिल के तहत सभी लोगों को भोजन की गारंटी नहीं दिया जाता तब तक इसके बारे कोई भी टिप्प्णी करना अनुचित ही होगा। आखिर कार सरकार में शायद ही कोई मंत्रालय हो जिनके काम- काज अपेक्षाकृत औसतन ठीक ठाक रहा हो जो जनता के उम्मीद और देश के विकास के मानदंड पर खड़े उतरते हो। अन्तः UPA -२ सरकार के कार्यकाल को भ्रष्टाचार, मंहगाई और तानाशाह के लिए ही इतिहास में याद किये जायेंगे।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh