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जब छोट -छोट नेता क सजा अब तक नहीं हुआ तो हमरा कैसे होगा?

आत्ममंथन
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कैसे लालू जी के याद में रावड़ी जी ने ७४ रातें लालटेन में तेल डालते – डालते बिताये होगी पर लालूजी बड़े इत्मीनान से जेल में सो रहे थे, जरा सोचिय!, रावड़ी जी को राजनीती में १५ साल से ज्यादा क्यूँ ना हो गयी हो पर अनुभव के आधार पर लालूजी से कच्ची ही ठहरी इसलिए तो लालूजी को पूरा विस्वास था सलांखे के चार दिवारी इतनी भी मजबूत नहीं कि राजनीती के महारथ को ज्यादा दिन तक कैद कर रखे। पर रावड़ी जी, बेचारी पांच साल कि जुदाई की कल्पना मात्र ही आखियों से गंगा जमुना बहाने को विवश कर थी और लालटेन को देख कर उनकी लओ को निहार रही थी तभी बडा बेटा रावड़ी जी से आकर कहता हैं ” माँ धीरज से काम लीजिये ना, आपको अपने बेटा पर भरोषा हैं कि नहीं, देखिये हाई कोर्ट ने जमानत नामंजूर कर दिए तो क्या हुआ सुप्रीम कोर्ट जायेंगे बड़े से बड़े वकील लगवाएंगे, आप मत रोइये ना , पापा को जल्दी घर लायेंगे। ”

रावड़ी जी भैंस और गाय की तरफ घूमती हुई कहती हैं ” गाय को देखो कितना उदास भय गेलिन, तेजस्वी बेटा अब लालटेन में भी रौशनी कम लागिन ह , देखह जो भी केलिन हो उल्टा भ गेलिन ह अब कुछ ऐसन करी जे पापा को घर में जल्दी देखिन। काली दीवाली मनेली और छठ बिना पापा के जरुर मनेली पर का करी छठी महारानी के पर्व छोड़ न जायी।

बेटा एक पल देर किये रावड़ी जी पास गया और रावड़ी जी के सिर को कंधे के सहारे देकर कहने लगा ” माँ कल रांची जाता हूँ और पापा से पूछता हूँ कि आगे क्या करना हैं?”

दूसरे दिन लालूजी से मिलने जैसे ही उनके लड़के पहुंचे लालूजी का कॉन्फिडेंस देख कर हैरान हो गए। लालूजी पास आते ही बेटा को निहारते हुए कहने लगे ” धुर बुरबक, का रे खाना पीना बंद कर दिया, कितना दुबला हो गया । अरे जेल ही आये हैं जंहा गांधी जी जेसन लोग आया था । खूब खाना खाओ, अरे कोनो बात की चिंता करने की जरुरत नहीं हैं ? रावड़ी तो ठीक हैं ना, खाना खा रही है का नहीं ?, जाओ मम्मी क जा केर बोली हम जल्दी घर आयब। और एक बात बहुत जरुर हम कहूंगा क्यूंकि अब रजद और बिहार दोनों तेरे कंठे पर है, जेल जाने से डरने क्या बात है ? जब छोट छोट नेता क सजा अब तक नहीं हुआ तो हमरा कैसे होगा? अभी तो ट्रायल कोर्ट ने फैसला दिया हैं हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे बस एक बार जमानत मिल जाय ”

लालूजी अपने बेटा को संत्वना देने में जो कह गए वह कोई मनगंढ़त दिलाषा नहीं ब्लिक हक़ीक़त हैं कि आज तक किसी भी नेता को ज्यादा दिन तक जेल के चार दिवारी ने रोक नहीं पाये हैं। दरशल में नेता जब जेल से बाहर आते हैं उनके देखर यूँ लगता हैं जैसे जेल नहीं किसी मंदिर से आ रहा हो बाबजूद भर्ष्टाचार के आरोप में जेल गए हो।
जनता के समक्ष इस कदर इमोशनल ब्लैकमेल का ताना – बाना बुनते हैं कि जनता उनके झांसे में आने से खुदको रोक नहीं पाते हैं फलस्वरूप जेल से निकलते ही उनको जिस ठाट -बात से स्वागत किये जाते हैं कि मानो नेता जी भर्ष्टाचार में संगलता के कारण जेल नहीं मक्का मदीना से हज़ करके आ रहे हो।

आज के राजनीती में लोकतंत्र और नेता दोनो का परिभाषा बदल चुके है इसलिए तो आज जेल के वे चार दिवारी लालूजी को ज्यादा दिन तक अपने आग़ोश में नहीं रख पाये। फिलहाल लालूजी को ज़मानत मिल गए और लालूजी रावड़ी जी के संग लालटेन में तेल डाल रहे हैं।

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