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बड़ी मुद्दत से आपका जो आज दीदार हो गए…………

आत्ममंथन
आत्ममंथन
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दिल खिल उठा, मन की बगियाँ गुलजार हो गए,
यांदो ने ली करबतें, ख्यालो में फिर से बहार हो गए
बड़ी मुद्दत से आपका जो आज दीदार हो गए…………….
हवाओं ने ली अंगराई, फ़िजा महकने लगी
दबी थी जो हसरतें, फिरसे बेक़रार हो गए
बड़ी मुद्दत से आपका जो आज दीदार हो गए………………
नदिया लहराने लगी, झरना गुनगाने लगा
नशीली ये रात चांदनी हुई, अजब सा ख़ुमार हो गए
बड़ी मुद्दत से आपका जो आज दीदार हो गए………………
वही अल्हरपन, वही लड़कपन करने लगे हैं हलचल
कशमकश की जिन्दगी से हम बेज़ार हो गए
बड़ी मुद्दत से आपका जो आज दीदार हो गए………………
ओ सावन की फुहारे, ओ भादो की अँधेरी रातें
जुगनू की अटखेलियाँ, कितने शाल हो गए
बड़ी मुद्दत से आपका जो आज दीदार हो गए………………
यूँ मिलते रहो फुरशत में,ढूढें उस भूले विशरे बचपन को
बेमुरब्बत आज से कल की शादगी बेकार हो गए
बड़ी मुद्दत से आपका जो आज दीदार हो गए………………
दिल खिल उठा, मन की बगियाँ गुलजार हो गए,
यांदो ने ली करबतें, ख्यालो में फिर से बहार हो गए
बड़ी मुद्दत से आपका जो आज दीदार हो गए…………

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