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*क्या चुनाव के बाद दिल्ली में राजनीती की नई समीकरण बनने का आसार हैं ?*

आत्ममंथन
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*क्या चुनाव के बाद दिल्ली में राजनीती की नई समीकरण बन सकते ?*
शीला दिक्षित, मनिया मुख्यमंत्री साहिबा ने संकेत दिए हैं कि यदि पूर्ण बहुमत नहीं मिलने के आसार में AAP का सहयोग लिया जा सकता हैं ताकि चौथी बार दिल्ली में अपनी सरकार बना सके। बिना आग के धुँआ उठता नहीं, कयास यह लगाया जा रहा हैं AAP और कांग्रेस दोनों अकेले दम पर सरकार नहीं बनाने जा रहे हैं इसलिए परदे के पीछे एक दूसरे के सम्पर्क में हैं, क्यूंकि यही तो राजनीती हैं। चुनाव से पहले एक दूसरे के साथ अभद्र व्यवहार करते हैं, एक दूसरे को देखना पसंद नहीं करते पर चुनाव के बाद उन्हीके साथ मिलकर सरकार बनाते हैं। बहुत ऐसी पार्टिया हैं खुलेआम एक दूसरे के विरोधी हैं पर सरकार में साझेदारी, आज राजनीती बाकय अपने सबसे निचलेस्तर पर हैं।
कभी कभी जाने -अनजाने में नेता इसका बयां भी कर देते हैं उदहारस्वरूप, नरेश अग्रवाल हो या वीरेंदर सिंह इनके मुखारविन्दु से हाल में जो व्यक्तव्य जनता के समक्ष उद्घोषित हुए उनसे यही अंदाजा लगाया जा सकते हैं कि राजनीती इससे निचले पायदान पर शायद कभी नहीं थी। पार्टिया हो या नेता आज किसीको भी अपना कोई मैनिफेस्टो नहीं हैं और ना ही कोई विज़न ब्लिक जनता के मूड को देखकर वे चुनावी उद्घोषणा करते रहते हैं इसकी भी कोई गारंटी नहीं हैं चुनावी उद्घोषणा पर अम्ल करेंगे चुनाव के पश्चात अथवा नही।परन्तु नेता भली- भांति जान चुके हैं कि जनता के पास विकल्प सिमित हैं इस बार नहीं तो अगली बार नंबर लगना तय हैं। कांग्रेस पार्टी के लिए कोई भी अछूत नहीं अगर सरकार बनाने या बनबाने की बात हो। बिहार की नितीश सरकार हो या UP में मुलायम की पिछली सरकार दोनों के बनबाने में कांग्रेस ने अहम् योगदान दी थी बदले में मुलायम का सपोर्ट केंद्र में लेने को थोड़ी भी हिचकिचाहट नहीं। वस्तुतः हैरान करने वाली बात यह हैं कि राजनीती में कभी- कभार ही कुछ इस तरह देखने को मिलता हैं कि राज्य की विपछ और प्रतिपछ दोनों एक साथ केंद्र सरकार को सपोर्ट कर रहे हो और उन्ही के दम ख़म पर सरकार चल रही हो। इसलिए दिल्ली में शीला दिक्षित के इशारे को और उनकी चुप्पी को सिरे से ख़ारिज नहीं किये जा सकते हालाँकि बाद में शीला दिक्षित ने इस बयान को सिरे ख़ारिज करदी हैं यह कहकर कि उन्होंने इस तरह का कोई बयान नहीं दी थी। देश की राजनीती का जो दिशा और दशा हैं उसमें किसी भी सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता हैं।

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